Tuesday, February 11, 2014

"Tera Mera Khwaab"

हर श्याम मेरी रूह निकलती है, ढुंडती है  

जीने को वो पल जिन में छुपा है तेरा मेरा साथ...

हर श्याम मेरी रूह निकलती है, चलती है , दौडती है

जीने को जहां कही बसा है तेरा मेरा ख़्वाब……


चांदनी बिख़ेरती हुई तेरी निंगाहे, और चांद का गवाह होना

तेरे मजबूत हाथों में मेरे हाथ की पकड, और धडकनो का तेज़ होना

छोटी सी छत पे मुत्मईन बैठे हुए बचपन के किस्से सुनाना

और एक घर का दिख़ना....

कुछ देर कुछ दूर चलके बिछडना, और फिर मिलने की आस रखना..


 यह सब पल शायद चांद ने चुराये हों, या मंदिर की चौखट पे हम रखके आए हों ….

मेरी रूह हर श्याम फिर निकलती है, चलती है , कभी दौडती है

जीने की ख़्वाहिश में मचलती है...

जीने को वो पल जहां कही तो छुपा होगा तेरा मेरा साथ...

जहां कही तो बसा होगा तेरा मेरा ख़्वाब……

2 comments:

  1. :) very beautiful, dont know how i didnt check before :)

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  2. I think only a person residing in the mountains can capture these emotions so beautifully. Such an ideal relationship this seems...

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